Ek chameli ke mandavi / एक चमेली के मंडवे तले

एक चमेली के मंडवे तले
मयकदे से ज़रा, दूर उस मोड़ पर
दो बदन प्यार की आग में जल गये
एक चमेली के मंडवे तले...

प्यार हर्फ़-ए-वफ़ा, प्यार उनका खुदा
प्यार उनकी चिता
दो बदन प्यार की...
एक चमेली के मंडवे तले...

ओस में भीगते, चाँदनी में नहाते हुए
जैसे दो ताज़ा रूह, ताज़ा दम फूल पिछले पहर
ठंडी ठंडी सबकरो-चमन की हवा
सर्फ़े-मातम हुई
काली-काली लटों से लिपट, गर्म रुखसार पर
एक पल के लिये रूक गयी
दो बदन प्यार की...

हमने देखा उन्हें, दिन में और रात में
नूर-ओ-ज़ुल्मात में
मस्जिदों के मीनारों ने देखा उन्हें
मंदिरों के किवाड़ों ने देखा उन्हें
मयकदे के दरारों ने देखा उन्हें
दो बदन प्यार की...

जगजीत सिंह जी की आवाज

अज़ अज़ल ता अबद, ये बता चारागर
तेरी जंबील में
नुस्खा-ए-कीमिया-ए-मुहब्बत भी है
कुछ इलाजो-मुदावा-ए-उल्फ़त भी है
दो बदन प्यार की...

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