Aankh Ko Jaam Samajh Baitha Tha (Ghazal) Lyrics in Hindi
आँख को ज़ाम समझ बैठा था अनजाने में
साक़िया होश कहाँ था तेरे दीवाने में
जाने किस बात की उनको है शिकायत मुझसे
नाम तक जिनका नहीं है मेरे अफ़साने में
दिल के दुकड़ों से तेरी याद की खुशबू ना गई
बू-ए-मय बाकी है टूटे हुए पैमाने में
(बू-ए-मय = शराब की महक )
दिल-ए-बर्बाद में उम्मीद का आलम क्या है
टिमटिमाती हुई इक शम्मा है वीराने में
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